बिहार के आयुष कुमार ने व्यक्तिगत त्रासदी के बावजूद KIYG 2025 में सेपक टाक्रो में ऐतिहासिक रजत पदक दिलाने में मदद की
बिहार ने रोमांचक फाइनल में मणिपुर से 1-2 से हारकर सेपक टाक्रो में ऐतिहासिक रजत पदक जीता
खेल्लो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG) 2025 के मंगलवार के फाइनल में बिहार ने शक्तिशाली मणिपुर से रोमांचक मुकाबले में 1-2 से हारकर सेपक टाक्रो में ऐतिहासिक रजत पदक जीता। इस जीत के पीछे आयुष कुमार का संघर्ष और समर्पण रहा, जिन्होंने व्यक्तिगत त्रासदी के बावजूद टीम के लिए अविश्वसनीय प्रदर्शन किया।
सेपक टाक्रो एक तेजी से बढ़ता हुआ खेल है, जो दक्षिण पूर्व एशिया में लोकप्रिय है, और KIYG 2025 में इसकी बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है। बिहार की टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन फाइनल में मणिपुर की मजबूत टीम के खिलाफ उन्हें कड़ी चुनौती मिली। आयुष कुमार, बिहार टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य, ने पूरे टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा और कौशल का प्रदर्शन किया।
आयुष कुमार की प्रेरणादायक कहानी
आयुष कुमार की कहानी प्रेरणादायक है। हाल ही में, उन्होंने अपने परिवार में एक बड़ी त्रासदी का सामना किया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने खेल पर ध्यान केंद्रित किया और टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का संकल्प लिया। उनका समर्पण और दृढ़ संकल्प टीम के अन्य सदस्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत थे।
फाइनल में, आयुष कुमार ने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन मणिपुर की टीम ने बेहतर रणनीति और अनुभव के साथ उन्हें पछाड़ दिया। अंतिम अंक पर, मणिपुर ने 1-2 से जीत हासिल की, लेकिन बिहार की टीम ने रजत पदक जीतकर इतिहास रचा।
बिहार के लिए एक ऐतिहासिक क्षण
यह बिहार के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। सेपक टाक्रो में यह राज्य का पहला राष्ट्रीय पदक है। यह जीत राज्य के युवा एथलीटों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगी और उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
बिहार सरकार और राज्य खेल प्राधिकरण ने इस उपलब्धि पर बिहार टीम और आयुष कुमार को बधाई दी है। आयुष कुमार को राज्य के युवा आइकन के रूप में सम्मानित किया जाएगा और उन्हें आगे बढ़ने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी।
सेपक टाक्रो के बारे में
सेपक टाक्रो एक टीम खेल है जो वॉलीबॉल, फुटबॉल, और मार्शल आर्ट्स के तत्वों को जोड़ता है। यह खेल दक्षिण पूर्व एशिया में बहुत लोकप्रिय है और इसे 'दक्षिण पूर्व एशिया का फुटबॉल' भी कहा जाता है। सेपक टाक्रो में, खिलाड़ी अपने पैरों, घुटनों, छाती और सिर का उपयोग करके गेंद को नेट के ऊपर से मारते हैं।
KIYG 2025 में सेपक टाक्रो की सफलता ने इस खेल की लोकप्रियता को बढ़ाया है और भारत में इसके विकास के लिए नए अवसर खोले हैं।
आयुष कुमार और बिहार की टीम ने दिखाया है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प से कुछ भी संभव है। उनकी कहानी युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है और उन्हें अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करेगी।