RBI की राह पर US Fed? 2025 तक ब्याज दरों में कटौती की संभावना, निवेशकों में उम्मीद!
नई दिल्ली: अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों को स्थिर रखा है, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीतिगत रुख पर भी नजर रखी जा रही है। फेडरल रिजर्व ने बेंचमार्क फेडरल फंड्स रेट को 4.25%-4.5% की सीमा में अपरिवर्तित रखा है, जो लगातार छठी बैठक है। इस फैसले की व्यापक रूप से उम्मीद थी, लेकिन भविष्य के लिए संकेत निवेशकों में उम्मीद जगा रहे हैं।
2025 तक ब्याज दरों में कटौती की संभावना
फेडरल रिजर्व ने अपने नवीनतम पूर्वानुमानों में संकेत दिया है कि 2025 तक ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती हो सकती है। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि यह दर्शाता है कि फेडरल रिजर्व मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सफल हो रहा है और अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए अब नरम रुख अपना सकता है।
इस फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
फेडरल रिजर्व के इस फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। सबसे पहले, यह भारतीय रुपये को मजबूत कर सकता है। दूसरा, यह भारतीय शेयर बाजार में तेजी ला सकता है। तीसरा, यह भारतीय कंपनियों के लिए विदेशी पूंजी को आकर्षित कर सकता है।
RBI की नीतिगत रुख
फेडरल रिजर्व के फैसले से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर भी दबाव बढ़ सकता है। RBI को अपनी नीतिगत रुख को फेडरल रिजर्व के साथ तालमेल बिठाना होगा। यदि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है, तो RBI को भी ऐसा करने की आवश्यकता हो सकती है ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिल सके।
निवेशकों के लिए सलाह
फेडरल रिजर्व के इस फैसले से निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से शेयर बाजार में तेजी आ सकती है, लेकिन यह भी संभावना है कि बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है। निवेशकों को अपनी जोखिम सहनशीलता के अनुसार निवेश करने की सलाह दी जाती है।
मुख्य बातें
- फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को स्थिर रखा।
- 2025 तक ब्याज दरों में 50 bps की कटौती की संभावना।
- भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- RBI को अपनी नीतिगत रुख को समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि फेडरल रिजर्व के फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह कई कारकों पर निर्भर करेगा, जिसमें वैश्विक आर्थिक स्थिति और भारतीय सरकार की नीतियां शामिल हैं।