Bacha Swasthya Ka Bhavishya: Har Ek Maa Ke Liye Surakshit Prasavan Kaise Karein?

2025-07-11
Bacha Swasthya Ka Bhavishya: Har Ek Maa Ke Liye Surakshit Prasavan Kaise Karein?
National Geographic

भारत और अन्य विकासशील देशों में, गर्भावस्था और प्रसव से जुड़ी जटिलताओं के कारण हर साल लाखों महिलाएं और नवजात शिशु अपनी जान गंवा बैठते हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि नवाचार आशा की एक किरण लेकर आया है। नई तकनीकें और दृष्टिकोण प्रसव को सुरक्षित बनाने और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

तकनीकी प्रगति: दूरदराज के क्षेत्रों में भी बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल तकनीक और टेलीमेडिसिन का उपयोग बढ़ रहा है। गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान नियमित निगरानी और सलाह के लिए स्मार्टफोन ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं। इससे उन्हें समय पर उचित चिकित्सा सहायता मिल पाती है।

नवाचारी समाधान: कुछ संगठन पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीनें विकसित कर रहे हैं जो स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में ले जा सकते हैं। ये मशीनें गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की निगरानी करने और संभावित जटिलताओं का पता लगाने में मदद करती हैं। इसके अतिरिक्त, रक्तस्राव को रोकने के लिए नई दवाएं और उपकरण विकसित किए जा रहे हैं, जो प्रसव के दौरान महिलाओं के लिए एक प्रमुख खतरा है।

समुदाय आधारित दृष्टिकोण: केवल तकनीक ही पर्याप्त नहीं है। समुदायों को भी प्रसव सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। प्रशिक्षित पारंपरिक जन्म सहायकों (Traditional Birth Attendants - TBAs) को आधुनिक चिकित्सा ज्ञान और कौशल से लैस करना महत्वपूर्ण है। इससे वे जटिलताओं को पहचानने और उचित रेफरल करने में सक्षम होंगे।

सरकारी पहल: भारत सरकार ने भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana) गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए प्रोत्साहित करती है, जहां उन्हें सुरक्षित प्रसव और प्रसवोत्तर देखभाल मिलती है। इसके अलावा, मिशन मोड में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए अन्य कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

चुनौतियां और आगे की राह: हालांकि प्रगति हो रही है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं। इनमें स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कमी, और जागरूकता की कमी शामिल हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, हमें सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना होगा। हमें स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश बढ़ाना होगा, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना होगा, और समुदायों को प्रसव सुरक्षा के महत्व के बारे में शिक्षित करना होगा।

निष्कर्ष: नवाचार, समुदाय आधारित दृष्टिकोण, और सरकारी समर्थन के साथ, हम हर महिला के लिए सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कर सकते हैं। यह न केवल महिलाओं के जीवन को बचाएगा, बल्कि हमारे देश के भविष्य को भी सुरक्षित करेगा। आइए, मिलकर काम करें और एक ऐसा भारत बनाएं जहां हर बच्चा स्वस्थ हो और हर मां सुरक्षित रहे।

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