Delhi NCR में वायु प्रदूषण: मौजूदा बीमारियों वाले लोगों के लिए जंगल की आग का धुआँ खतरनाक, रेस्पिrologist ने दी सुरक्षा सलाह

2025-07-20
Delhi NCR में वायु प्रदूषण: मौजूदा बीमारियों वाले लोगों के लिए जंगल की आग का धुआँ खतरनाक, रेस्पिrologist ने दी सुरक्षा सलाह
CTV News

दिल्ली एनसीआर में जंगल की आग का धुआँ: मौजूदा बीमारियों वाले लोगों के लिए गंभीर खतरा

दिल्ली-एनसीआर में जंगल की आग (wildfire) से निकलने वाले धुएं के कारण वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं। रेस्पिrologist डॉ. शॉन आरोन ने चेतावनी दी है कि यह धुआँ उन लोगों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है जिन्हें पहले से ही सांस संबंधी या हृदय संबंधी बीमारियां हैं। उन्होंने बताया कि जंगल की आग का धुआँ फेफड़ों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है और मौजूदा स्थितियों को और खराब कर सकता है।

जंगल की आग का धुआँ फेफड़ों को कैसे प्रभावित करता है?

जंगल की आग के धुएं में सूक्ष्म कण, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य हानिकारक रसायन होते हैं। ये कण फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं और सूजन, जलन और सांस लेने में तकलीफ पैदा कर सकते हैं। जिन लोगों को अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) या हृदय रोग जैसी मौजूदा बीमारियां हैं, उन्हें विशेष रूप से जोखिम होता है। धुएं के संपर्क में आने से उनके लक्षण बढ़ सकते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना बढ़ सकती है।

मौजूदा बीमारियों वाले लोगों के लिए सुरक्षा सुझाव

डॉ. आरोन ने मौजूदा बीमारियों वाले लोगों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षा सुझाव दिए हैं:

  • एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की निगरानी करें: नियमित रूप से स्थानीय वायु गुणवत्ता की जांच करें और जब AQI खराब हो तो घर के अंदर रहें।
  • मास्क पहनें: यदि आपको बाहर जाना है, तो एन95 मास्क पहनें जो हवा में मौजूद कणों को फिल्टर कर सके।
  • दवाएं लें: अपनी सांस संबंधी दवाओं को हमेशा साथ रखें और आवश्यकतानुसार उनका उपयोग करें।
  • धूम्रपान से बचें: धूम्रपान फेफड़ों को और नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए धुएं के दौरान धूम्रपान से बचना चाहिए।
  • घर के अंदर हवा को साफ रखें: एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और खिड़कियां बंद रखें ताकि घर के अंदर की हवा को साफ रखा जा सके।

बच्चों और बुजुर्गों की विशेष देखभाल

डॉ. आरोन ने बच्चों और बुजुर्गों की विशेष देखभाल करने की सलाह दी। बच्चों के फेफड़े अभी भी विकसित हो रहे होते हैं, और बुजुर्गों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे वे धुएं के प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

निष्कर्ष

दिल्ली-एनसीआर में जंगल की आग के धुएं से होने वाले वायु प्रदूषण को गंभीरता से लेना चाहिए। मौजूदा बीमारियों वाले लोगों को विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए और अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए। वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक घर के अंदर रहना और सुरक्षा उपायों का पालन करना महत्वपूर्ण है।

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